द्रवीय तेल शक्ति प्रणाली:-
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परंतु फिर भी उसे संक्षिप्त रूप से निम्न प्रकार देखा जा सकता है...👇
(द्रवशक्ति प्रणाली)Hydraulic system:-
हाइड्रोलिक सिस्टम वह सर्किट है, जिसमें बल और शक्ति का स्थानांतरण तरल के माध्यम से होता है। साधारणतया तरल के रूप में एक तेल का उपयोग किया जाता है। एक द्रवीय तरल पदार्थ या एक द्रवीय तरल वह माध्यम है जिसके द्वारा हाइड्रोलिक मशीनरी में शक्ति स्थानांतरित की जाती है ।
हाइड्रोलिक सिस्टम को दो भागों में बांटा गया है।
1- hydrostatic सिस्टम
2-हाइड्रोकाइनेटिक सिस्टम
1-द्रवस्थितिकी प्रणाली(hydrostatic system):-
हाइड्रोस्टेटिक सिस्टम वह सिस्टम है,जिसमे द्रवीय तरल का प्राथमिक कार्य दाब के माध्यम से बल व शक्ति का स्थानांतरण करना होता है। हाइड्रोस्टेटिक सिस्टर में मुख्य दो तत्व होते हैं।
First- पंपिंग यूनिट जो मैकेनिकल वर्क को हाइड्रॉलिक एनर्जी में चेंज करता है।
Second- हाइड्रोलिक मोटर जो हाइड्रोलिक एनर्जी को मैकेनिकल वर्क में चेंज करती है।
एक लीड जो परिपथ के रूप में होती है दोनों मुख्य घटकों को जोड़ती है। पंपिंग यूनिट जो दाब को स्थानांतरित करती है ट्रांसमीटर कहलाती है। हाइड्रोलिक मोटर जो बल एवं शक्ति को हाइड्रोलिक प्रेशर से प्राप्त करती है, कहलाती है।
2-द्रवगतिकी प्रणाली(Hydrokinetic or Rotadynamic system):-
हाइड्रोकाइनेटिक सिस्टम का उद्देश्य शक्ति का स्थानांतरण करना व कार्यकारी माध्यम के वेग में प्रवाह के परिवर्तन के कारण प्राथमिक आवश्यक प्रभाव प्राप्त करना है।इस स्थिति में दाब परिवर्तन को जितना संभव हो सके टालना चाहिए।
क्रिया(आपरेशन):-
द्रव गतिकी ट्रांसमीटर में एक अपकेंद्री पंप या अंतरानोदक अवश्य होता है,जो चालक सॉफ्ट से जुड़ा होता है। इसमें एक आयल टरबाइन या रनर भी होता है, जो ड्राइविंग शाफ़्ट से जुड़ी होती है। शक्ति का स्थानांतरण ड्राइविंग सॉफ्ट से ड्राविंन शाफ़्ट की ओर तेल के सरकुलेशन के कारण इंपैलर और रनर के मध्य होता है।
अतः ज्यादा वक्त बर्बाद न करते हुए अगली टॉपिक पर विचार किया जाय।
वायवीय प्रणाली या गैस यांत्रिकी(Pneumatic system):-
न्यूमेटिक्स ग्रीक शब्द न्यूमा से लिया गया है। जिसका अर्थ है-जीवन की श्वास। गैस यांत्रिकी इंजीनियरी की वह शाखा है जो विभिन्न प्रकार के कार्यों के लिए दाबित गैस या दाबित वायु का उपयोग करता है। गैस यांत्रिकी में गैसों के व्यवहार का अध्ययन उनकी विराम अवस्था या गति की अवस्था में करते हैं। आधुनिक युग में बहुत से उपकरण जैसे वायु संपीडक, गैस टरबाइन आदि वायवीय प्रणाली पर आधारित हैं। इसकी दो प्रमुख शाखाएं हैं।
1-वायु स्थैतिकी(aerostatic)
2-वायुगतिकी(aerodynamics)
अतः पास्कल के नियमानुसार कोई भी तरल विराम अवस्था में सभी दिशाओं में समान दाब लगाता है।
आज आधुनिक युग में हमारे चारों ओर हमें विभिन्न प्रकार की मशीनें देखने को मिलती हैं। सभी मशीनों का अपना -अपना कार्य व सिद्धांत हैं। आज सुई से लेकर हवाई जहाज तक सब कुछ मशीनों से ही बनाया जाता है। बड़ी बड़ी औद्योगिक इकाई में, सिविल इंजीनियरिंग के कार्यों में, यांत्रिक कार्यों में, विद्युत इंजीनियरिंग आदि सभी में द्रव शक्ति व वायु या गैसकी पर आधारित मशीनो का बड़ा ही योगदान है। इन मशीनों के औद्योगिक जगत में आ जाने से कार्यों को शीघ्रता से पूर्ण करने में इन मशीनों का योगदान महत्वपूर्ण रहा है, व मशीन के युग में नई क्रांति ला दी है। विभिन्न क्षेत्रों में इस के महत्वपूर्ण योगदान निम्न है यांत्रिकी के क्षेत्र में क्लच गियर लीवर तथा वैद्युत इंजीनियरिंग के क्षेत्र में मोटर से जनरेटर आदि एवं द्रव या गैस सिलेंडर आदि में इसका उपयोग किया जाता है। हाइड्रोलिक सिस्टम दाबित तरल के साथ काम करता है, जबकि वायवीय संपीडित हवा का उपयोग करती है।
इसके अतिरिक्त आयल पावर हाइड्रोलिक प्लास्टिक प्रसंस्करण मशीनरी, स्टील बनाने और प्राथमिक धातु निष्कर्षण अनुप्रयोगों, मशीन उपकरण उद्योग, लोडर, क्रशर, प्रेस, कपड़ा उद्योग मशीनरी आदि में उपयोगी है। वायवीय का दंत चिकित्सा, निर्माण, खनन और अन्य क्षेत्रों में भी उपयोग होता है।
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1-वायु स्थैतिकी(aerostatic)
2-वायुगतिकी(aerodynamics)
1-वायु स्थैतिकी(aerostatic):-
वायु स्थैतिकी तरल स्थैतिकी का ही एक क्षेत्र है।जिसमें उन गैसों का अध्ययन किया जाता है,जो समन्वय प्रणाली के संबंध में गति में नहीं है ।वायु स्थैतिकी में वायु का अध्ययन विराम अवस्था रुकी अवस्था में करते हैं इसके प्रयोग में एक बैरोमीटर का सूत्र प्रमुख है। जैसे कि हवाई पोत या गुब्बारा जो वायु में तैरने के लिए वायु स्थैतिकी के सिद्धांत का उपयोग करते हैं।2-वायुगतिकी(aerodynamics):-
इसमें वायु तथा अन्य गैसीय तरलो की गति और इन तरलो के सापेक्ष गतिमान ठोसों पर लगे बलों का विवेचन होता है। इस विज्ञान के सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रयोग में से एक अनुप्रयोग वायुयान की अभिकल्पना है।पास्कल का नियम:-
पास्कल का नियम यह दर्शाता है कि किसी रुके हुए द्रव में एक बिंदु पर दाब तीव्रता सभी दिशाओं में समान होती है।अतः पास्कल के नियमानुसार कोई भी तरल विराम अवस्था में सभी दिशाओं में समान दाब लगाता है।
पास्कल नियम के अनुप्रयोग:-
इस नियम के अनुसार मशीनें कम दाब लगाकर अधिक भार उठाने में सक्षम होती हैं। अतः पास्कल के नियम के अनुप्रयोग निम्न है।- सिविल इंजीनियरिंग कार्यों में प्रयुक्त मशीनों में
- ऑटोमोबाइल में।
- मेडिकल क्षेत्र की मशीनों में।
- हाइड्रोलिक जैक, हाइड्रोलिक रैम ,हाइड्रोलिक प्रेस,आदि में
- हाइड्रोलिक क्रेन, हाइड्रोलिक लिफ्ट में, रिवेटक हाइड्रोलिक ब्रेक, हाइड्रोलिक कपलिंग आदि में।
वायवीय और तरल शक्ति द्रव प्रणाली का औद्योगिक अनुप्रयोग:-
आज आधुनिक युग में हमारे चारों ओर हमें विभिन्न प्रकार की मशीनें देखने को मिलती हैं। सभी मशीनों का अपना -अपना कार्य व सिद्धांत हैं। आज सुई से लेकर हवाई जहाज तक सब कुछ मशीनों से ही बनाया जाता है। बड़ी बड़ी औद्योगिक इकाई में, सिविल इंजीनियरिंग के कार्यों में, यांत्रिक कार्यों में, विद्युत इंजीनियरिंग आदि सभी में द्रव शक्ति व वायु या गैसकी पर आधारित मशीनो का बड़ा ही योगदान है। इन मशीनों के औद्योगिक जगत में आ जाने से कार्यों को शीघ्रता से पूर्ण करने में इन मशीनों का योगदान महत्वपूर्ण रहा है, व मशीन के युग में नई क्रांति ला दी है। विभिन्न क्षेत्रों में इस के महत्वपूर्ण योगदान निम्न है यांत्रिकी के क्षेत्र में क्लच गियर लीवर तथा वैद्युत इंजीनियरिंग के क्षेत्र में मोटर से जनरेटर आदि एवं द्रव या गैस सिलेंडर आदि में इसका उपयोग किया जाता है। हाइड्रोलिक सिस्टम दाबित तरल के साथ काम करता है, जबकि वायवीय संपीडित हवा का उपयोग करती है।
इसके अतिरिक्त आयल पावर हाइड्रोलिक प्लास्टिक प्रसंस्करण मशीनरी, स्टील बनाने और प्राथमिक धातु निष्कर्षण अनुप्रयोगों, मशीन उपकरण उद्योग, लोडर, क्रशर, प्रेस, कपड़ा उद्योग मशीनरी आदि में उपयोगी है। वायवीय का दंत चिकित्सा, निर्माण, खनन और अन्य क्षेत्रों में भी उपयोग होता है।
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