Hydraulic Press....
Construction and working of hydraulic press...
हाइड्रोलिक प्रेस पास्कल के नियम पर कार्य करती है। पास्कल के अनुसार किसी परिबद्ध तरल का दाब किसी बिंदु पर बदल जाता है ,तो सभी बिंदुओं पर तरल का दाब उतने ही मान से बदल जाएगा ।अधिकांशत द्रव चालित मशीनें पास्कल के नियम का पालन करती हैं।
ये वे मशीनें हैं, जिनकी सहायता से कम बल लगाकर अधिक भार उठाया जा सकता है। इस प्रेस का उपयोग छेद करने में, इस्पात प्लेटों की कटिंग तथा बड़े उपकरणों के स्वतः नियंत्रण आदि कार्यों में किया जाता है। इनमें दो स्थिर सिलेंडर होते हैं। जिनमें एक बड़े व्यास का तथा एक छोटे व्यास का होता है। बड़े सिलिंडर में रैम तथा छोटे में प्लंजर ऊपर नीचे सरक सकते हैं। दोनों सिलेंडरों को एक पाइप से जोड़ा जाता है। सिलेंडर तथा पाइप के मध्य एक द्रव भरा रहता है, तथा दोनों ही घर्षण रहित और जलरोधी बनाए जाते हैं। द्रवरोधी होने के कारण द्रव का रिसाव या क्षरण नहीं हो सकता है।
अब यदि रैम का क्षेत्रफल A तथा प्लंजर का क्षेत्रफल a माने,और रैम पर रखे w भार के उठाने के लिए प्लंजर पर बल f नीचे की ओर लगाने की आवश्यकता पड़ती है।
रैम के नीचे दाब तीव्रता (P)=w/A
प्लंजर के नीचे दाब तीव्रता (p)=f/a
अतः पास्कल के नियमानुसार-
f/a=w/A=p
w/f=A/a
यांत्रिक लाभ=उठाया गया भार/लगाया गया भार
w/f=A/a
अतः यांत्रिक लाभ रैम तथा प्लंजर के क्षेत्रफलों का अनुपात है। और अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए प्लंजर का बल एक लीवर की सहायता से लगाया जाता है।
सामान्यतया द्रवीय प्रेस की दक्षता 0.80 से 0.85 तक होता है।
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