3D printing part-2 FDM( fused deposition modeling)
3D प्रिंटिंग पार्ट -1 में हमने जाना की 3D प्रिंटिंग क्या होती है इसके साथ ही ये भी जाना की इसके क्या फायदे और कितनी विधियाँ है |
इसी क्रम में आज फिर से इसके आगे की टॉपिक आज से शुरू होती है |
3D प्रिंटिंग पार्ट -2
1-FDM(Fused deposition modeling):-
Fused deposition modeling को fused filament
fabrication भी कहते है | FDM के अंतर्गत प्लास्टिक पदार्थ का प्रयोग करके 3D मॉडल
बनाये जाते है |
FDM की क्रियाविधि निम्लिखित है –
1) सबसे
पहले उत्पाद का 3D मॉडल कंप्यूटर ऐडेड सोफ्टवेयर में बनाया जाता है |
2) CAD
में तैयार मॉडल को STL फाइल फॉर्मेट में बदल कर इसको प्रिंट होने के लिए 3D
प्रिंटर में भेजा जाता है |
3) FDM
में use किया जाने वाला material Plastic के wire के रुप में होता हैं | जिसे फ़िलामेंट कहते है| इस फिलामेंट को नोजल
में फीड किया जाता है | नोजल फिलामेंट को melt करके layer के रूप में जमा करता है
| यह layer एक टेबल पर एकत्रित होता है ,जिसे base कहते है |
4) Nozzle
तथा Base दोनों कंप्यूटर द्वारा control होते है, जो X,Y तथा Z Coordinate को
adjust करके प्रिंटिंग करते है | Nozzle plateform पर Horizontal एवं Vertical गति
करते हुए प्रिंटिंग करते है
5) इस
प्रकार thermoplastic से बनी परत ठण्डी होकर कठोर हो जाती है, और निचले वाली परत
के साथ मजबूत जोड़ बनाती है|
6) एक-एक
परत बनती जाती है,और इसी क्रम में base धीरे-धीरे नीचे कर दिया जाता है |
7) प्रिंटिंग
में लगने वाला समय उत्पाद की डिजाईन और आकार पर निर्भर करता है |
8) इस
प्रकार FDM प्रिंटर से प्राप्त उत्पाद की फिनिशिंग के रूप में support के लिए लगाए
गये पदार्थ को अलग कर लिया जाता है|
FDM के अनुप्रयोग :-
1. Prototype निर्माण में |
2. Automobile industry में |
3. Medical industry में |
4. Tool production और engineering
product के manfacturing में |
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